2.5

चौपाई
मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत्रु बोलाए।।
कहि जयजीव सीस तिन्ह नाए। भूप सुमंगल बचन सुनाए।।
जौं पाँचहि मत लागै नीका। करहु हरषि हियँ रामहि टीका।।
मंत्री मुदित सुनत प्रिय बानी। अभिमत बिरवँ परेउ जनु पानी।।
बिनती सचिव करहि कर जोरी। जिअहु जगतपति बरिस करोरी।।
जग मंगल भल काजु बिचारा। बेगिअ नाथ न लाइअ बारा।।
नृपहि मोदु सुनि सचिव सुभाषा। बढ़त बौंड़ जनु लही सुसाखा।।

दोहा/सोरठा
कहेउ भूप मुनिराज कर जोइ जोइ आयसु होइ।
राम राज अभिषेक हित बेगि करहु सोइ सोइ।।5।।

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