चौपाई
जानि कठिन सिवचाप बिसूरति। चली राखि उर स्यामल मूरति।।
प्रभु जब जात जानकी जानी। सुख सनेह सोभा गुन खानी।।
परम प्रेममय मृदु मसि कीन्ही। चारु चित भीतीं लिख लीन्ही।।
गई भवानी भवन बहोरी। बंदि चरन बोली कर जोरी।।
जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी।।
जय गज बदन षड़ानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।।
नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना।।
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।।
दोहा/सोरठा
पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष।।235।।
1.235
Pages |