Two Book View

ramcharitmanas

1.165

चौपाई
कह तापस नृप ऐसेइ होऊ। कारन एक कठिन सुनु सोऊ।।
कालउ तुअ पद नाइहि सीसा। एक बिप्रकुल छाड़ि महीसा।।
तपबल बिप्र सदा बरिआरा। तिन्ह के कोप न कोउ रखवारा।।
जौं बिप्रन्ह सब करहु नरेसा। तौ तुअ बस बिधि बिष्नु महेसा।।
चल न ब्रह्मकुल सन बरिआई। सत्य कहउँ दोउ भुजा उठाई।।
बिप्र श्राप बिनु सुनु महिपाला। तोर नास नहि कवनेहुँ काला।।
हरषेउ राउ बचन सुनि तासू। नाथ न होइ मोर अब नासू।।
तव प्रसाद प्रभु कृपानिधाना। मो कहुँ सर्ब काल कल्याना।।

दोहा/सोरठा
एवमस्तु कहि कपटमुनि बोला कुटिल बहोरि।
मिलब हमार भुलाब निज कहहु त हमहि न खोरि।।165।।

Pages

ramcharitmanas

1.165

चौपाई
कह तापस नृप ऐसेइ होऊ। कारन एक कठिन सुनु सोऊ।।
कालउ तुअ पद नाइहि सीसा। एक बिप्रकुल छाड़ि महीसा।।
तपबल बिप्र सदा बरिआरा। तिन्ह के कोप न कोउ रखवारा।।
जौं बिप्रन्ह सब करहु नरेसा। तौ तुअ बस बिधि बिष्नु महेसा।।
चल न ब्रह्मकुल सन बरिआई। सत्य कहउँ दोउ भुजा उठाई।।
बिप्र श्राप बिनु सुनु महिपाला। तोर नास नहि कवनेहुँ काला।।
हरषेउ राउ बचन सुनि तासू। नाथ न होइ मोर अब नासू।।
तव प्रसाद प्रभु कृपानिधाना। मो कहुँ सर्ब काल कल्याना।।

दोहा/सोरठा
एवमस्तु कहि कपटमुनि बोला कुटिल बहोरि।
मिलब हमार भुलाब निज कहहु त हमहि न खोरि।।165।।

Pages