चौपाई
एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें। होइहहिं सकल बिप्र बस तोरें।।
करिहहिं बिप्र होम मख सेवा। तेहिं प्रसंग सहजेहिं बस देवा।।
और एक तोहि कहऊँ लखाऊ। मैं एहि बेष न आउब काऊ।।
तुम्हरे उपरोहित कहुँ राया। हरि आनब मैं करि निज माया।।
तपबल तेहि करि आपु समाना। रखिहउँ इहाँ बरष परवाना।।
मैं धरि तासु बेषु सुनु राजा। सब बिधि तोर सँवारब काजा।।
गै निसि बहुत सयन अब कीजे। मोहि तोहि भूप भेंट दिन तीजे।।
मैं तपबल तोहि तुरग समेता। पहुँचेहउँ सोवतहि निकेता।।
दोहा/सोरठा
मैं आउब सोइ बेषु धरि पहिचानेहु तब मोहि।
जब एकांत बोलाइ सब कथा सुनावौं तोहि।।169।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.169
Pages |
ramcharitmanas
1.169
चौपाई
एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें। होइहहिं सकल बिप्र बस तोरें।।
करिहहिं बिप्र होम मख सेवा। तेहिं प्रसंग सहजेहिं बस देवा।।
और एक तोहि कहऊँ लखाऊ। मैं एहि बेष न आउब काऊ।।
तुम्हरे उपरोहित कहुँ राया। हरि आनब मैं करि निज माया।।
तपबल तेहि करि आपु समाना। रखिहउँ इहाँ बरष परवाना।।
मैं धरि तासु बेषु सुनु राजा। सब बिधि तोर सँवारब काजा।।
गै निसि बहुत सयन अब कीजे। मोहि तोहि भूप भेंट दिन तीजे।।
मैं तपबल तोहि तुरग समेता। पहुँचेहउँ सोवतहि निकेता।।
दोहा/सोरठा
मैं आउब सोइ बेषु धरि पहिचानेहु तब मोहि।
जब एकांत बोलाइ सब कथा सुनावौं तोहि।।169।।
Pages |
