चौपाई
सिसु सब राम प्रेमबस जाने। प्रीति समेत निकेत बखाने।।
निज निज रुचि सब लेंहिं बोलाई। सहित सनेह जाहिं दोउ भाई।।
राम देखावहिं अनुजहि रचना। कहि मृदु मधुर मनोहर बचना।।
लव निमेष महँ भुवन निकाया। रचइ जासु अनुसासन माया।।
भगति हेतु सोइ दीनदयाला। चितवत चकित धनुष मखसाला।।
कौतुक देखि चले गुरु पाहीं। जानि बिलंबु त्रास मन माहीं।।
जासु त्रास डर कहुँ डर होई। भजन प्रभाउ देखावत सोई।।
कहि बातें मृदु मधुर सुहाईं। किए बिदा बालक बरिआई।।
दोहा/सोरठा
सभय सप्रेम बिनीत अति सकुच सहित दोउ भाइ।
गुर पद पंकज नाइ सिर बैठे आयसु पाइ।।225।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.225
Pages |
ramcharitmanas
1.225
चौपाई
सिसु सब राम प्रेमबस जाने। प्रीति समेत निकेत बखाने।।
निज निज रुचि सब लेंहिं बोलाई। सहित सनेह जाहिं दोउ भाई।।
राम देखावहिं अनुजहि रचना। कहि मृदु मधुर मनोहर बचना।।
लव निमेष महँ भुवन निकाया। रचइ जासु अनुसासन माया।।
भगति हेतु सोइ दीनदयाला। चितवत चकित धनुष मखसाला।।
कौतुक देखि चले गुरु पाहीं। जानि बिलंबु त्रास मन माहीं।।
जासु त्रास डर कहुँ डर होई। भजन प्रभाउ देखावत सोई।।
कहि बातें मृदु मधुर सुहाईं। किए बिदा बालक बरिआई।।
दोहा/सोरठा
सभय सप्रेम बिनीत अति सकुच सहित दोउ भाइ।
गुर पद पंकज नाइ सिर बैठे आयसु पाइ।।225।।
Pages |