Two Book View

ramcharitmanas

1.227

चौपाई
सकल सौच करि जाइ नहाए। नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए।।
समय जानि गुर आयसु पाई। लेन प्रसून चले दोउ भाई।।
भूप बागु बर देखेउ जाई। जहँ बसंत रितु रही लोभाई।।
लागे बिटप मनोहर नाना। बरन बरन बर बेलि बिताना।।
नव पल्लव फल सुमान सुहाए। निज संपति सुर रूख लजाए।।
चातक कोकिल कीर चकोरा। कूजत बिहग नटत कल मोरा।।
मध्य बाग सरु सोह सुहावा। मनि सोपान बिचित्र बनावा।।
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा। जलखग कूजत गुंजत भृंगा।।

दोहा/सोरठा
बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत।
परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत।।227।।

Pages

ramcharitmanas

1.227

चौपाई
सकल सौच करि जाइ नहाए। नित्य निबाहि मुनिहि सिर नाए।।
समय जानि गुर आयसु पाई। लेन प्रसून चले दोउ भाई।।
भूप बागु बर देखेउ जाई। जहँ बसंत रितु रही लोभाई।।
लागे बिटप मनोहर नाना। बरन बरन बर बेलि बिताना।।
नव पल्लव फल सुमान सुहाए। निज संपति सुर रूख लजाए।।
चातक कोकिल कीर चकोरा। कूजत बिहग नटत कल मोरा।।
मध्य बाग सरु सोह सुहावा। मनि सोपान बिचित्र बनावा।।
बिमल सलिलु सरसिज बहुरंगा। जलखग कूजत गुंजत भृंगा।।

दोहा/सोरठा
बागु तड़ागु बिलोकि प्रभु हरषे बंधु समेत।
परम रम्य आरामु यहु जो रामहि सुख देत।।227।।

Pages