चौपाई
बिदुषन्ह प्रभु बिराटमय दीसा। बहु मुख कर पग लोचन सीसा।।
जनक जाति अवलोकहिं कैसैं। सजन सगे प्रिय लागहिं जैसें।।
सहित बिदेह बिलोकहिं रानी। सिसु सम प्रीति न जाति बखानी।।
जोगिन्ह परम तत्वमय भासा। सांत सुद्ध सम सहज प्रकासा।।
हरिभगतन्ह देखे दोउ भ्राता। इष्टदेव इव सब सुख दाता।।
रामहि चितव भायँ जेहि सीया। सो सनेहु सुखु नहिं कथनीया।।
उर अनुभवति न कहि सक सोऊ। कवन प्रकार कहै कबि कोऊ।।
एहि बिधि रहा जाहि जस भाऊ। तेहिं तस देखेउ कोसलराऊ।।
दोहा/सोरठा
राजत राज समाज महुँ कोसलराज किसोर।
सुंदर स्यामल गौर तन बिस्व बिलोचन चोर।।242।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.242
Pages |
ramcharitmanas
1.242
चौपाई
बिदुषन्ह प्रभु बिराटमय दीसा। बहु मुख कर पग लोचन सीसा।।
जनक जाति अवलोकहिं कैसैं। सजन सगे प्रिय लागहिं जैसें।।
सहित बिदेह बिलोकहिं रानी। सिसु सम प्रीति न जाति बखानी।।
जोगिन्ह परम तत्वमय भासा। सांत सुद्ध सम सहज प्रकासा।।
हरिभगतन्ह देखे दोउ भ्राता। इष्टदेव इव सब सुख दाता।।
रामहि चितव भायँ जेहि सीया। सो सनेहु सुखु नहिं कथनीया।।
उर अनुभवति न कहि सक सोऊ। कवन प्रकार कहै कबि कोऊ।।
एहि बिधि रहा जाहि जस भाऊ। तेहिं तस देखेउ कोसलराऊ।।
दोहा/सोरठा
राजत राज समाज महुँ कोसलराज किसोर।
सुंदर स्यामल गौर तन बिस्व बिलोचन चोर।।242।।
Pages |