चौपाई
बरषि सुमन सुर सुंदरि गावहिं। मुदित देव दुंदुभीं बजावहिं।।
बस्तु सकल राखीं नृप आगें। बिनय कीन्ह तिन्ह अति अनुरागें।।
प्रेम समेत रायँ सबु लीन्हा। भै बकसीस जाचकन्हि दीन्हा।।
करि पूजा मान्यता बड़ाई। जनवासे कहुँ चले लवाई।।
बसन बिचित्र पाँवड़े परहीं। देखि धनहु धन मदु परिहरहीं।।
अति सुंदर दीन्हेउ जनवासा। जहँ सब कहुँ सब भाँति सुपासा।।
जानी सियँ बरात पुर आई। कछु निज महिमा प्रगटि जनाई।।
हृदयँ सुमिरि सब सिद्धि बोलाई। भूप पहुनई करन पठाई।।
दोहा/सोरठा
सिधि सब सिय आयसु अकनि गईं जहाँ जनवास।
लिएँ संपदा सकल सुख सुरपुर भोग बिलास।।306।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.306
Pages |
ramcharitmanas
1.306
चौपाई
बरषि सुमन सुर सुंदरि गावहिं। मुदित देव दुंदुभीं बजावहिं।।
बस्तु सकल राखीं नृप आगें। बिनय कीन्ह तिन्ह अति अनुरागें।।
प्रेम समेत रायँ सबु लीन्हा। भै बकसीस जाचकन्हि दीन्हा।।
करि पूजा मान्यता बड़ाई। जनवासे कहुँ चले लवाई।।
बसन बिचित्र पाँवड़े परहीं। देखि धनहु धन मदु परिहरहीं।।
अति सुंदर दीन्हेउ जनवासा। जहँ सब कहुँ सब भाँति सुपासा।।
जानी सियँ बरात पुर आई। कछु निज महिमा प्रगटि जनाई।।
हृदयँ सुमिरि सब सिद्धि बोलाई। भूप पहुनई करन पठाई।।
दोहा/सोरठा
सिधि सब सिय आयसु अकनि गईं जहाँ जनवास।
लिएँ संपदा सकल सुख सुरपुर भोग बिलास।।306।।
Pages |