चौपाई
रामहि देखि बरात जुड़ानी। प्रीति कि रीति न जाति बखानी।।
नृप समीप सोहहिं सुत चारी। जनु धन धरमादिक तनुधारी।।
सुतन्ह समेत दसरथहि देखी। मुदित नगर नर नारि बिसेषी।।
सुमन बरिसि सुर हनहिं निसाना। नाकनटीं नाचहिं करि गाना।।
सतानंद अरु बिप्र सचिव गन। मागध सूत बिदुष बंदीजन।।
सहित बरात राउ सनमाना। आयसु मागि फिरे अगवाना।।
प्रथम बरात लगन तें आई। तातें पुर प्रमोदु अधिकाई।।
ब्रह्मानंदु लोग सब लहहीं। बढ़हुँ दिवस निसि बिधि सन कहहीं।।
दोहा/सोरठा
रामु सीय सोभा अवधि सुकृत अवधि दोउ राज।
जहँ जहँ पुरजन कहहिं अस मिलि नर नारि समाज।।।309।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.309
Pages |
ramcharitmanas
1.309
चौपाई
रामहि देखि बरात जुड़ानी। प्रीति कि रीति न जाति बखानी।।
नृप समीप सोहहिं सुत चारी। जनु धन धरमादिक तनुधारी।।
सुतन्ह समेत दसरथहि देखी। मुदित नगर नर नारि बिसेषी।।
सुमन बरिसि सुर हनहिं निसाना। नाकनटीं नाचहिं करि गाना।।
सतानंद अरु बिप्र सचिव गन। मागध सूत बिदुष बंदीजन।।
सहित बरात राउ सनमाना। आयसु मागि फिरे अगवाना।।
प्रथम बरात लगन तें आई। तातें पुर प्रमोदु अधिकाई।।
ब्रह्मानंदु लोग सब लहहीं। बढ़हुँ दिवस निसि बिधि सन कहहीं।।
दोहा/सोरठा
रामु सीय सोभा अवधि सुकृत अवधि दोउ राज।
जहँ जहँ पुरजन कहहिं अस मिलि नर नारि समाज।।।309।।
Pages |