चौपाई
भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा। तिन्हहि राम पद अति अनुरागा।।
तापस सम दम दया निधाना। परमारथ पथ परम सुजाना।।
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।
पूजहि माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।।
भरद्वाज आश्रम अति पावन। परम रम्य मुनिबर मन भावन।।
तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा। जाहिं जे मज्जन तीरथराजा।।
मज्जहिं प्रात समेत उछाहा। कहहिं परसपर हरि गुन गाहा।।
दोहा/सोरठा
ब्रह्म निरूपम धरम बिधि बरनहिं तत्त्व बिभाग।
कहहिं भगति भगवंत कै संजुत ग्यान बिराग।।44।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.44
Pages |
ramcharitmanas
1.44
चौपाई
भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा। तिन्हहि राम पद अति अनुरागा।।
तापस सम दम दया निधाना। परमारथ पथ परम सुजाना।।
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।
पूजहि माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।।
भरद्वाज आश्रम अति पावन। परम रम्य मुनिबर मन भावन।।
तहाँ होइ मुनि रिषय समाजा। जाहिं जे मज्जन तीरथराजा।।
मज्जहिं प्रात समेत उछाहा। कहहिं परसपर हरि गुन गाहा।।
दोहा/सोरठा
ब्रह्म निरूपम धरम बिधि बरनहिं तत्त्व बिभाग।
कहहिं भगति भगवंत कै संजुत ग्यान बिराग।।44।।
Pages |
