Two Book View

ramcharitmanas

1.66

चौपाई
सरिता सब पुनित जलु बहहीं। खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं।।
सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा। गिरि पर सकल करहिं अनुरागा।।
सोह सैल गिरिजा गृह आएँ। जिमि जनु रामभगति के पाएँ।।
नित नूतन मंगल गृह तासू। ब्रह्मादिक गावहिं जसु जासू।।
नारद समाचार सब पाए। कौतुकहीं गिरि गेह सिधाए।।
सैलराज बड़ आदर कीन्हा। पद पखारि बर आसनु दीन्हा।।
नारि सहित मुनि पद सिरु नावा। चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा।।
निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना। सुता बोलि मेली मुनि चरना।।

दोहा/सोरठा
त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि।।
कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयँ बिचारि।।66।।

Pages

ramcharitmanas

1.66

चौपाई
सरिता सब पुनित जलु बहहीं। खग मृग मधुप सुखी सब रहहीं।।
सहज बयरु सब जीवन्ह त्यागा। गिरि पर सकल करहिं अनुरागा।।
सोह सैल गिरिजा गृह आएँ। जिमि जनु रामभगति के पाएँ।।
नित नूतन मंगल गृह तासू। ब्रह्मादिक गावहिं जसु जासू।।
नारद समाचार सब पाए। कौतुकहीं गिरि गेह सिधाए।।
सैलराज बड़ आदर कीन्हा। पद पखारि बर आसनु दीन्हा।।
नारि सहित मुनि पद सिरु नावा। चरन सलिल सबु भवनु सिंचावा।।
निज सौभाग्य बहुत गिरि बरना। सुता बोलि मेली मुनि चरना।।

दोहा/सोरठा
त्रिकालग्य सर्बग्य तुम्ह गति सर्बत्र तुम्हारि।।
कहहु सुता के दोष गुन मुनिबर हृदयँ बिचारि।।66।।

Pages