Two Book View

ramcharitmanas

1.82

चौपाई
जाइ मुनिन्ह हिमवंतु पठाए। करि बिनती गिरजहिं गृह ल्याए।।
बहुरि सप्तरिषि सिव पहिं जाई। कथा उमा कै सकल सुनाई।।
भए मगन सिव सुनत सनेहा। हरषि सप्तरिषि गवने गेहा।।
मनु थिर करि तब संभु सुजाना। लगे करन रघुनायक ध्याना।।
तारकु असुर भयउ तेहि काला। भुज प्रताप बल तेज बिसाला।।
तेंहि सब लोक लोकपति जीते। भए देव सुख संपति रीते।।
अजर अमर सो जीति न जाई। हारे सुर करि बिबिध लराई।।
तब बिरंचि सन जाइ पुकारे। देखे बिधि सब देव दुखारे।।

दोहा/सोरठा
सब सन कहा बुझाइ बिधि दनुज निधन तब होइ।
संभु सुक्र संभूत सुत एहि जीतइ रन सोइ।।82।।

Pages

ramcharitmanas

1.82

चौपाई
जाइ मुनिन्ह हिमवंतु पठाए। करि बिनती गिरजहिं गृह ल्याए।।
बहुरि सप्तरिषि सिव पहिं जाई। कथा उमा कै सकल सुनाई।।
भए मगन सिव सुनत सनेहा। हरषि सप्तरिषि गवने गेहा।।
मनु थिर करि तब संभु सुजाना। लगे करन रघुनायक ध्याना।।
तारकु असुर भयउ तेहि काला। भुज प्रताप बल तेज बिसाला।।
तेंहि सब लोक लोकपति जीते। भए देव सुख संपति रीते।।
अजर अमर सो जीति न जाई। हारे सुर करि बिबिध लराई।।
तब बिरंचि सन जाइ पुकारे। देखे बिधि सब देव दुखारे।।

दोहा/सोरठा
सब सन कहा बुझाइ बिधि दनुज निधन तब होइ।
संभु सुक्र संभूत सुत एहि जीतइ रन सोइ।।82।।

Pages