355

10.1.355

चौपाई
మంగలగాన కరహిం బర భామిని. భై సుఖమూల మనోహర జామిని..
అఇ పాన సబ కాహూపాఏ. స్త్రగ సుగంధ భూషిత ఛబి ఛాఏ..
రామహి దేఖి రజాయసు పాఈ. నిజ నిజ భవన చలే సిర నాఈ..
ప్రేమ ప్రమోద బినోదు బఢఈ. సమఉ సమాజు మనోహరతాఈ..
కహి న సకహి సత సారద సేసూ. బేద బిరంచి మహేస గనేసూ..
సో మై కహౌం కవన బిధి బరనీ. భూమినాగు సిర ధరఇ కి ధరనీ..
నృప సబ భాి సబహి సనమానీ. కహి మృదు బచన బోలాఈ రానీ..
బధూ లరికనీం పర ఘర ఆఈం. రాఖేహు నయన పలక కీ నాఈ..

9.1.355

चौपाई
மஂகலகாந கரஹிஂ பர பாமிநி. பை ஸுகமூல மநோஹர ஜாமிநி..
அஇ பாந ஸப காஹூபாஏ. ஸ்த்ரக ஸுகஂத பூஷித சபி சாஏ..
ராமஹி தேகி ரஜாயஸு பாஈ. நிஜ நிஜ பவந சலே ஸிர நாஈ..
ப்ரேம ப்ரமோத பிநோது பட஀ாஈ. ஸமஉ ஸமாஜு மநோஹரதாஈ..
கஹி ந ஸகஹி ஸத ஸாரத ஸேஸூ. பேத பிரஂசி மஹேஸ கநேஸூ..
ஸோ மை கஹௌஂ கவந பிதி பரநீ. பூமிநாகு ஸிர தரஇ கி தரநீ..
நரிப ஸப பாி ஸபஹி ஸநமாநீ. கஹி மரிது பசந போலாஈ ராநீ..
பதூ லரிகநீஂ பர கர ஆஈஂ. ராகேஹு நயந பலக கீ நாஈ..

8.1.355

चौपाई
maṃgalagāna karahiṃ bara bhāmini. bhai sukhamūla manōhara jāmini..
aomcai pāna saba kāhūom pāē. straga sugaṃdha bhūṣita chabi chāē..
rāmahi dēkhi rajāyasu pāī. nija nija bhavana calē sira nāī..
prēma pramōda binōdu baḍhaāī. samau samāju manōharatāī..
kahi na sakahi sata sārada sēsū. bēda biraṃci mahēsa ganēsū..
sō mai kahauṃ kavana bidhi baranī. bhūmināgu sira dharai ki dharanī..
nṛpa saba bhāomti sabahi sanamānī. kahi mṛdu bacana bōlāī rānī..
badhū larikanīṃ para ghara āīṃ. rākhēhu nayana palaka kī nāī..

7.1.355

चौपाई
ਮਂਗਲਗਾਨ ਕਰਹਿਂ ਬਰ ਭਾਮਿਨਿ। ਭੈ ਸੁਖਮੂਲ ਮਨੋਹਰ ਜਾਮਿਨਿ।।
ਅਇ ਪਾਨ ਸਬ ਕਾਹੂਪਾਏ। ਸ੍ਤ੍ਰਗ ਸੁਗਂਧ ਭੂਸ਼ਿਤ ਛਬਿ ਛਾਏ।।
ਰਾਮਹਿ ਦੇਖਿ ਰਜਾਯਸੁ ਪਾਈ। ਨਿਜ ਨਿਜ ਭਵਨ ਚਲੇ ਸਿਰ ਨਾਈ।।
ਪ੍ਰੇਮ ਪ੍ਰਮੋਦ ਬਿਨੋਦੁ ਬਢ਼ਾਈ। ਸਮਉ ਸਮਾਜੁ ਮਨੋਹਰਤਾਈ।।
ਕਹਿ ਨ ਸਕਹਿ ਸਤ ਸਾਰਦ ਸੇਸੂ। ਬੇਦ ਬਿਰਂਚਿ ਮਹੇਸ ਗਨੇਸੂ।।
ਸੋ ਮੈ ਕਹੌਂ ਕਵਨ ਬਿਧਿ ਬਰਨੀ। ਭੂਮਿਨਾਗੁ ਸਿਰ ਧਰਇ ਕਿ ਧਰਨੀ।।
ਨਰਿਪ ਸਬ ਭਾਿ ਸਬਹਿ ਸਨਮਾਨੀ। ਕਹਿ ਮਰਿਦੁ ਬਚਨ ਬੋਲਾਈ ਰਾਨੀ।।
ਬਧੂ ਲਰਿਕਨੀਂ ਪਰ ਘਰ ਆਈਂ। ਰਾਖੇਹੁ ਨਯਨ ਪਲਕ ਕੀ ਨਾਈ।।

6.1.355

चौपाई
ମଂଗଲଗାନ କରହିଂ ବର ଭାମିନି| ଭୈ ସୁଖମୂଲ ମନୋହର ଜାମିନି||
ଅଇ ପାନ ସବ କାହୂପାଏ| ସ୍ତ୍ରଗ ସୁଗଂଧ ଭୂଷିତ ଛବି ଛାଏ||
ରାମହି ଦେଖି ରଜାଯସୁ ପାଈ| ନିଜ ନିଜ ଭବନ ଚଲେ ସିର ନାଈ||
ପ୍ରେମ ପ୍ରମୋଦ ବିନୋଦୁ ବଢ଼ାଈ| ସମଉ ସମାଜୁ ମନୋହରତାଈ||
କହି ନ ସକହି ସତ ସାରଦ ସେସୂ| ବେଦ ବିରଂଚି ମହେସ ଗନେସୂ||
ସୋ ମୈ କହୌଂ କବନ ବିଧି ବରନୀ| ଭୂମିନାଗୁ ସିର ଧରଇ କି ଧରନୀ||
ନୃପ ସବ ଭାି ସବହି ସନମାନୀ| କହି ମୃଦୁ ବଚନ ବୋଲାଈ ରାନୀ||
ବଧୂ ଲରିକନୀଂ ପର ଘର ଆଈଂ| ରାଖେହୁ ନଯନ ପଲକ କୀ ନାଈ||

5.1.355

चौपाई
മംഗലഗാന കരഹിം ബര ഭാമിനി. ഭൈ സുഖമൂല മനോഹര ജാമിനി..
അഇ പാന സബ കാഹൂപാഏ. സ്ത്രഗ സുഗംധ ഭൂഷിത ഛബി ഛാഏ..
രാമഹി ദേഖി രജായസു പാഈ. നിജ നിജ ഭവന ചലേ സിര നാഈ..
പ്രേമ പ്രമോദ ബിനോദു ബഢഈ. സമഉ സമാജു മനോഹരതാഈ..
കഹി ന സകഹി സത സാരദ സേസൂ. ബേദ ബിരംചി മഹേസ ഗനേസൂ..
സോ മൈ കഹൌം കവന ബിധി ബരനീ. ഭൂമിനാഗു സിര ധരഇ കി ധരനീ..
നൃപ സബ ഭാി സബഹി സനമാനീ. കഹി മൃദു ബചന ബോലാഈ രാനീ..
ബധൂ ലരികനീം പര ഘര ആഈം. രാഖേഹു നയന പലക കീ നാഈ..

4.1.355

चौपाई
ಮಂಗಲಗಾನ ಕರಹಿಂ ಬರ ಭಾಮಿನಿ. ಭೈ ಸುಖಮೂಲ ಮನೋಹರ ಜಾಮಿನಿ..
ಅಇ ಪಾನ ಸಬ ಕಾಹೂಪಾಏ. ಸ್ತ್ರಗ ಸುಗಂಧ ಭೂಷಿತ ಛಬಿ ಛಾಏ..
ರಾಮಹಿ ದೇಖಿ ರಜಾಯಸು ಪಾಈ. ನಿಜ ನಿಜ ಭವನ ಚಲೇ ಸಿರ ನಾಈ..
ಪ್ರೇಮ ಪ್ರಮೋದ ಬಿನೋದು ಬಢಈ. ಸಮಉ ಸಮಾಜು ಮನೋಹರತಾಈ..
ಕಹಿ ನ ಸಕಹಿ ಸತ ಸಾರದ ಸೇಸೂ. ಬೇದ ಬಿರಂಚಿ ಮಹೇಸ ಗನೇಸೂ..
ಸೋ ಮೈ ಕಹೌಂ ಕವನ ಬಿಧಿ ಬರನೀ. ಭೂಮಿನಾಗು ಸಿರ ಧರಇ ಕಿ ಧರನೀ..
ನೃಪ ಸಬ ಭಾಿ ಸಬಹಿ ಸನಮಾನೀ. ಕಹಿ ಮೃದು ಬಚನ ಬೋಲಾಈ ರಾನೀ..
ಬಧೂ ಲರಿಕನೀಂ ಪರ ಘರ ಆಈಂ. ರಾಖೇಹು ನಯನ ಪಲಕ ಕೀ ನಾಈ..

3.1.355

चौपाई
મંગલગાન કરહિં બર ભામિનિ। ભૈ સુખમૂલ મનોહર જામિનિ।।
અઇ પાન સબ કાહૂપાએ। સ્ત્રગ સુગંધ ભૂષિત છબિ છાએ।।
રામહિ દેખિ રજાયસુ પાઈ। નિજ નિજ ભવન ચલે સિર નાઈ।।
પ્રેમ પ્રમોદ બિનોદુ બઢ઼ાઈ। સમઉ સમાજુ મનોહરતાઈ।।
કહિ ન સકહિ સત સારદ સેસૂ। બેદ બિરંચિ મહેસ ગનેસૂ।।
સો મૈ કહૌં કવન બિધિ બરની। ભૂમિનાગુ સિર ધરઇ કિ ધરની।।
નૃપ સબ ભાિ સબહિ સનમાની। કહિ મૃદુ બચન બોલાઈ રાની।।
બધૂ લરિકનીં પર ઘર આઈં। રાખેહુ નયન પલક કી નાઈ।।

2.1.355

चौपाई
মংগলগান করহিং বর ভামিনি৷ ভৈ সুখমূল মনোহর জামিনি৷৷
অই পান সব কাহূপাএ৷ স্ত্রগ সুগংধ ভূষিত ছবি ছাএ৷৷
রামহি দেখি রজাযসু পাঈ৷ নিজ নিজ ভবন চলে সির নাঈ৷৷
প্রেম প্রমোদ বিনোদু বঢ়াঈ৷ সমউ সমাজু মনোহরতাঈ৷৷
কহি ন সকহি সত সারদ সেসূ৷ বেদ বিরংচি মহেস গনেসূ৷৷
সো মৈ কহৌং কবন বিধি বরনী৷ ভূমিনাগু সির ধরই কি ধরনী৷৷
নৃপ সব ভাি সবহি সনমানী৷ কহি মৃদু বচন বোলাঈ রানী৷৷
বধূ লরিকনীং পর ঘর আঈং৷ রাখেহু নযন পলক কী নাঈ৷৷

1.1.355

चौपाई
मंगलगान करहिं बर भामिनि। भै सुखमूल मनोहर जामिनि।।
अँचइ पान सब काहूँ पाए। स्त्रग सुगंध भूषित छबि छाए।।
रामहि देखि रजायसु पाई। निज निज भवन चले सिर नाई।।
प्रेम प्रमोद बिनोदु बढ़ाई। समउ समाजु मनोहरताई।।
कहि न सकहि सत सारद सेसू। बेद बिरंचि महेस गनेसू।।
सो मै कहौं कवन बिधि बरनी। भूमिनागु सिर धरइ कि धरनी।।
नृप सब भाँति सबहि सनमानी। कहि मृदु बचन बोलाई रानी।।
बधू लरिकनीं पर घर आईं। राखेहु नयन पलक की नाई।।

दोहा/सोरठा

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