चौपाई
 मामवलोकय पंकज लोचन। कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन।। 
 नील तामरस स्याम काम अरि। हृदय कंज मकरंद मधुप हरि।।
 जातुधान बरूथ बल भंजन। मुनि सज्जन रंजन अघ गंजन।। 
 भूसुर ससि नव बृंद बलाहक। असरन सरन दीन जन गाहक।।
 भुज बल बिपुल भार महि खंडित। खर दूषन बिराध बध पंडित।। 
 रावनारि सुखरूप भूपबर। जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर।।
 सुजस पुरान बिदित निगमागम। गावत सुर मुनि संत समागम।। 
 कारुनीक ब्यलीक मद खंडन। सब बिधि कुसल कोसला मंडन।।
 कलि मल मथन नाम ममताहन। तुलसीदास प्रभु पाहि प्रनत जन।।
दोहा/सोरठा
प्रेम सहित मुनि नारद बरनि राम गुन ग्राम।  
    सोभासिंधु हृदयँ धरि गए जहाँ बिधि धाम।।51।।
