Two Book View

ramcharitmanas

1.111

चौपाई
पुनि प्रभु कहहु सो तत्व बखानी। जेहिं बिग्यान मगन मुनि ग्यानी।।
भगति ग्यान बिग्यान बिरागा। पुनि सब बरनहु सहित बिभागा।।
औरउ राम रहस्य अनेका। कहहु नाथ अति बिमल बिबेका।।
जो प्रभु मैं पूछा नहि होई। सोउ दयाल राखहु जनि गोई।।
तुम्ह त्रिभुवन गुर बेद बखाना। आन जीव पाँवर का जाना।।
प्रस्न उमा कै सहज सुहाई। छल बिहीन सुनि सिव मन भाई।।
हर हियँ रामचरित सब आए। प्रेम पुलक लोचन जल छाए।।
श्रीरघुनाथ रूप उर आवा। परमानंद अमित सुख पावा।।

दोहा/सोरठा
मगन ध्यानरस दंड जुग पुनि मन बाहेर कीन्ह।
रघुपति चरित महेस तब हरषित बरनै लीन्ह।।111।।

Pages

ramcharitmanas

1.111

चौपाई
पुनि प्रभु कहहु सो तत्व बखानी। जेहिं बिग्यान मगन मुनि ग्यानी।।
भगति ग्यान बिग्यान बिरागा। पुनि सब बरनहु सहित बिभागा।।
औरउ राम रहस्य अनेका। कहहु नाथ अति बिमल बिबेका।।
जो प्रभु मैं पूछा नहि होई। सोउ दयाल राखहु जनि गोई।।
तुम्ह त्रिभुवन गुर बेद बखाना। आन जीव पाँवर का जाना।।
प्रस्न उमा कै सहज सुहाई। छल बिहीन सुनि सिव मन भाई।।
हर हियँ रामचरित सब आए। प्रेम पुलक लोचन जल छाए।।
श्रीरघुनाथ रूप उर आवा। परमानंद अमित सुख पावा।।

दोहा/सोरठा
मगन ध्यानरस दंड जुग पुनि मन बाहेर कीन्ह।
रघुपति चरित महेस तब हरषित बरनै लीन्ह।।111।।

Pages