चौपाई
सहित बसिष्ठ सोह नृप कैसें। सुर गुर संग पुरंदर जैसें।।
करि कुल रीति बेद बिधि राऊ। देखि सबहि सब भाँति बनाऊ।।
सुमिरि रामु गुर आयसु पाई। चले महीपति संख बजाई।।
हरषे बिबुध बिलोकि बराता। बरषहिं सुमन सुमंगल दाता।।
भयउ कोलाहल हय गय गाजे। ब्योम बरात बाजने बाजे।।
सुर नर नारि सुमंगल गाई। सरस राग बाजहिं सहनाई।।
घंट घंटि धुनि बरनि न जाहीं। सरव करहिं पाइक फहराहीं।।
करहिं बिदूषक कौतुक नाना। हास कुसल कल गान सुजाना ।
दोहा/सोरठा
तुरग नचावहिं कुँअर बर अकनि मृदंग निसान।।
नागर नट चितवहिं चकित डगहिं न ताल बँधान।।302।।
Two Book View
ramcharitmanas
1.302
Pages |
ramcharitmanas
1.302
चौपाई
सहित बसिष्ठ सोह नृप कैसें। सुर गुर संग पुरंदर जैसें।।
करि कुल रीति बेद बिधि राऊ। देखि सबहि सब भाँति बनाऊ।।
सुमिरि रामु गुर आयसु पाई। चले महीपति संख बजाई।।
हरषे बिबुध बिलोकि बराता। बरषहिं सुमन सुमंगल दाता।।
भयउ कोलाहल हय गय गाजे। ब्योम बरात बाजने बाजे।।
सुर नर नारि सुमंगल गाई। सरस राग बाजहिं सहनाई।।
घंट घंटि धुनि बरनि न जाहीं। सरव करहिं पाइक फहराहीं।।
करहिं बिदूषक कौतुक नाना। हास कुसल कल गान सुजाना ।
दोहा/सोरठा
तुरग नचावहिं कुँअर बर अकनि मृदंग निसान।।
नागर नट चितवहिं चकित डगहिं न ताल बँधान।।302।।
Pages |