Two Book View

ramcharitmanas

1.303

चौपाई
बनइ न बरनत बनी बराता। होहिं सगुन सुंदर सुभदाता।।
चारा चाषु बाम दिसि लेई। मनहुँ सकल मंगल कहि देई।।
दाहिन काग सुखेत सुहावा। नकुल दरसु सब काहूँ पावा।।
सानुकूल बह त्रिबिध बयारी। सघट सवाल आव बर नारी।।
लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा। सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा।।
मृगमाला फिरि दाहिनि आई। मंगल गन जनु दीन्हि देखाई।।
छेमकरी कह छेम बिसेषी। स्यामा बाम सुतरु पर देखी।।
सनमुख आयउ दधि अरु मीना। कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना।।

दोहा/सोरठा
मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार।
जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार।।303।।

Pages

ramcharitmanas

1.303

चौपाई
बनइ न बरनत बनी बराता। होहिं सगुन सुंदर सुभदाता।।
चारा चाषु बाम दिसि लेई। मनहुँ सकल मंगल कहि देई।।
दाहिन काग सुखेत सुहावा। नकुल दरसु सब काहूँ पावा।।
सानुकूल बह त्रिबिध बयारी। सघट सवाल आव बर नारी।।
लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा। सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा।।
मृगमाला फिरि दाहिनि आई। मंगल गन जनु दीन्हि देखाई।।
छेमकरी कह छेम बिसेषी। स्यामा बाम सुतरु पर देखी।।
सनमुख आयउ दधि अरु मीना। कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना।।

दोहा/सोरठा
मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार।
जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार।।303।।

Pages