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ramcharitmanas

1.339

चौपाई
बहुबिधि भूप सुता समुझाई। नारिधरमु कुलरीति सिखाई।।
दासीं दास दिए बहुतेरे। सुचि सेवक जे प्रिय सिय केरे।।
सीय चलत ब्याकुल पुरबासी। होहिं सगुन सुभ मंगल रासी।।
भूसुर सचिव समेत समाजा। संग चले पहुँचावन राजा।।
समय बिलोकि बाजने बाजे। रथ गज बाजि बरातिन्ह साजे।।
दसरथ बिप्र बोलि सब लीन्हे। दान मान परिपूरन कीन्हे।।
चरन सरोज धूरि धरि सीसा। मुदित महीपति पाइ असीसा।।
सुमिरि गजाननु कीन्ह पयाना। मंगलमूल सगुन भए नाना।।

दोहा/सोरठा
सुर प्रसून बरषहि हरषि करहिं अपछरा गान।
चले अवधपति अवधपुर मुदित बजाइ निसान।।339।।

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ramcharitmanas

1.339

चौपाई
बहुबिधि भूप सुता समुझाई। नारिधरमु कुलरीति सिखाई।।
दासीं दास दिए बहुतेरे। सुचि सेवक जे प्रिय सिय केरे।।
सीय चलत ब्याकुल पुरबासी। होहिं सगुन सुभ मंगल रासी।।
भूसुर सचिव समेत समाजा। संग चले पहुँचावन राजा।।
समय बिलोकि बाजने बाजे। रथ गज बाजि बरातिन्ह साजे।।
दसरथ बिप्र बोलि सब लीन्हे। दान मान परिपूरन कीन्हे।।
चरन सरोज धूरि धरि सीसा। मुदित महीपति पाइ असीसा।।
सुमिरि गजाननु कीन्ह पयाना। मंगलमूल सगुन भए नाना।।

दोहा/सोरठा
सुर प्रसून बरषहि हरषि करहिं अपछरा गान।
चले अवधपति अवधपुर मुदित बजाइ निसान।।339।।

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