चौपाई
 सरद मयंक बदन छबि सींवा। चारु कपोल चिबुक दर ग्रीवा।। 
 अधर अरुन रद सुंदर नासा। बिधु कर निकर बिनिंदक हासा।।
 नव अबुंज अंबक छबि नीकी। चितवनि ललित भावँती जी की।। 
 भुकुटि मनोज चाप छबि हारी। तिलक ललाट पटल दुतिकारी।।
 कुंडल मकर मुकुट सिर भ्राजा। कुटिल केस जनु मधुप समाजा।। 
 उर श्रीबत्स रुचिर बनमाला। पदिक हार भूषन मनिजाला।।
 केहरि कंधर चारु जनेउ। बाहु बिभूषन सुंदर तेऊ।। 
 करि कर सरि सुभग भुजदंडा। कटि निषंग कर सर कोदंडा।।
दोहा/सोरठा
तडित बिनिंदक पीत पट उदर रेख बर तीनि।। 
 नाभि मनोहर लेति जनु जमुन भवँर छबि छीनि।।147।।
