चौपाई
 छतज नयन उर बाहु बिसाला। हिमगिरि निभ तनु कछु एक लाला।। 
 इहाँ दसानन सुभट पठाए। नाना अस्त्र सस्त्र गहि धाए।।
 भूधर नख बिटपायुध धारी। धाए कपि जय राम पुकारी।। 
 भिरे सकल जोरिहि सन जोरी। इत उत जय इच्छा नहिं थोरी।।
 मुठिकन्ह लातन्ह दातन्ह काटहिं। कपि जयसील मारि पुनि डाटहिं।। 
 मारु मारु धरु धरु धरु मारू। सीस तोरि गहि भुजा उपारू।।
 असि रव पूरि रही नव खंडा। धावहिं जहँ तहँ रुंड प्रचंडा।। 
 देखहिं कौतुक नभ सुर बृंदा। कबहुँक बिसमय कबहुँ अनंदा।।
दोहा/सोरठा
रुधिर गाड़ भरि भरि जम्यो ऊपर धूरि उड़ाइ। 
 जनु अँगार रासिन्ह पर मृतक धूम रह्यो छाइ।।53।।
