126

4.1.126

चौपाई
ತೇಹಿ ಆಶ್ರಮಹಿಂ ಮದನ ಜಬ ಗಯಊ. ನಿಜ ಮಾಯಾಬಸಂತ ನಿರಮಯಊ..
ಕುಸುಮಿತ ಬಿಬಿಧ ಬಿಟಪ ಬಹುರಂಗಾ. ಕೂಜಹಿಂ ಕೋಕಿಲ ಗುಂಜಹಿ ಭೃಂಗಾ..
ಚಲೀ ಸುಹಾವನಿ ತ್ರಿಬಿಧ ಬಯಾರೀ. ಕಾಮ ಕೃಸಾನು ಬಢವನಿಹಾರೀ..
ರಂಭಾದಿಕ ಸುರನಾರಿ ನಬೀನಾ . ಸಕಲ ಅಸಮಸರ ಕಲಾ ಪ್ರಬೀನಾ..
ಕರಹಿಂ ಗಾನ ಬಹು ತಾನ ತರಂಗಾ. ಬಹುಬಿಧಿ ಕ್ರೀಡಿ ಪಾನಿ ಪತಂಗಾ..
ದೇಖಿ ಸಹಾಯ ಮದನ ಹರಷಾನಾ. ಕೀನ್ಹೇಸಿ ಪುನಿ ಪ್ರಪಂಚ ಬಿಧಿ ನಾನಾ..
ಕಾಮ ಕಲಾ ಕಛು ಮುನಿಹಿ ನ ಬ್ಯಾಪೀ. ನಿಜ ಭಯಡರೇಉ ಮನೋಭವ ಪಾಪೀ..
ಸೀಮ ಕಿ ಚಾಿ ಸಕಇ ಕೋಉ ತಾಸು. ಬಡರಖವಾರ ರಮಾಪತಿ ಜಾಸೂ..

3.7.126

चौपाई
કહેઉપરમ પુનીત ઇતિહાસા। સુનત શ્રવન છૂટહિં ભવ પાસા।।
પ્રનત કલ્પતરુ કરુના પુંજા। ઉપજઇ પ્રીતિ રામ પદ કંજા।।
મન ક્રમ બચન જનિત અઘ જાઈ। સુનહિં જે કથા શ્રવન મન લાઈ।।
તીર્થાટન સાધન સમુદાઈ। જોગ બિરાગ ગ્યાન નિપુનાઈ।।
નાના કર્મ ધર્મ બ્રત દાના। સંજમ દમ જપ તપ મખ નાના।।
ભૂત દયા દ્વિજ ગુર સેવકાઈ। બિદ્યા બિનય બિબેક બડ઼ાઈ।।
જહલગિ સાધન બેદ બખાની। સબ કર ફલ હરિ ભગતિ ભવાની।।
સો રઘુનાથ ભગતિ શ્રુતિ ગાઈ। રામ કૃપાકાહૂએક પાઈ।।

3.2.126

चौपाई
દેખિ પાય મુનિરાય તુમ્હારે। ભએ સુકૃત સબ સુફલ હમારે।।
અબ જહરાઉર આયસુ હોઈ। મુનિ ઉદબેગુ ન પાવૈ કોઈ।।
મુનિ તાપસ જિન્હ તેં દુખુ લહહીં। તે નરેસ બિનુ પાવક દહહીં।।
મંગલ મૂલ બિપ્ર પરિતોષૂ। દહઇ કોટિ કુલ ભૂસુર રોષૂ।।
અસ જિયજાનિ કહિઅ સોઇ ઠાઊ સિય સૌમિત્રિ સહિત જહજાઊ।
તહરચિ રુચિર પરન તૃન સાલા। બાસુ કરૌ કછુ કાલ કૃપાલા।।
સહજ સરલ સુનિ રઘુબર બાની। સાધુ સાધુ બોલે મુનિ ગ્યાની।।
કસ ન કહહુ અસ રઘુકુલકેતૂ। તુમ્હ પાલક સંતત શ્રુતિ સેતૂ।।

3.1.126

चौपाई
તેહિ આશ્રમહિં મદન જબ ગયઊ। નિજ માયાબસંત નિરમયઊ।।
કુસુમિત બિબિધ બિટપ બહુરંગા। કૂજહિં કોકિલ ગુંજહિ ભૃંગા।।
ચલી સુહાવનિ ત્રિબિધ બયારી। કામ કૃસાનુ બઢ઼ાવનિહારી।।
રંભાદિક સુરનારિ નબીના । સકલ અસમસર કલા પ્રબીના।।
કરહિં ગાન બહુ તાન તરંગા। બહુબિધિ ક્રીડ઼હિ પાનિ પતંગા।।
દેખિ સહાય મદન હરષાના। કીન્હેસિ પુનિ પ્રપંચ બિધિ નાના।।
કામ કલા કછુ મુનિહિ ન બ્યાપી। નિજ ભયડરેઉ મનોભવ પાપી।।
સીમ કિ ચાિ સકઇ કોઉ તાસુ। બડ઼ રખવાર રમાપતિ જાસૂ।।

2.7.126

चौपाई
কহেউপরম পুনীত ইতিহাসা৷ সুনত শ্রবন ছূটহিং ভব পাসা৷৷
প্রনত কল্পতরু করুনা পুংজা৷ উপজই প্রীতি রাম পদ কংজা৷৷
মন ক্রম বচন জনিত অঘ জাঈ৷ সুনহিং জে কথা শ্রবন মন লাঈ৷৷
তীর্থাটন সাধন সমুদাঈ৷ জোগ বিরাগ গ্যান নিপুনাঈ৷৷
নানা কর্ম ধর্ম ব্রত দানা৷ সংজম দম জপ তপ মখ নানা৷৷
ভূত দযা দ্বিজ গুর সেবকাঈ৷ বিদ্যা বিনয বিবেক বড়াঈ৷৷
জহলগি সাধন বেদ বখানী৷ সব কর ফল হরি ভগতি ভবানী৷৷
সো রঘুনাথ ভগতি শ্রুতি গাঈ৷ রাম কৃপাকাহূএক পাঈ৷৷

2.2.126

चौपाई
দেখি পায মুনিরায তুম্হারে৷ ভএ সুকৃত সব সুফল হমারে৷৷
অব জহরাউর আযসু হোঈ৷ মুনি উদবেগু ন পাবৈ কোঈ৷৷
মুনি তাপস জিন্হ তেং দুখু লহহীং৷ তে নরেস বিনু পাবক দহহীং৷৷
মংগল মূল বিপ্র পরিতোষূ৷ দহই কোটি কুল ভূসুর রোষূ৷৷
অস জিযজানি কহিঅ সোই ঠাঊ সিয সৌমিত্রি সহিত জহজাঊ৷
তহরচি রুচির পরন তৃন সালা৷ বাসু করৌ কছু কাল কৃপালা৷৷
সহজ সরল সুনি রঘুবর বানী৷ সাধু সাধু বোলে মুনি গ্যানী৷৷
কস ন কহহু অস রঘুকুলকেতূ৷ তুম্হ পালক সংতত শ্রুতি সেতূ৷৷

2.1.126

चौपाई
তেহি আশ্রমহিং মদন জব গযঊ৷ নিজ মাযাবসংত নিরমযঊ৷৷
কুসুমিত বিবিধ বিটপ বহুরংগা৷ কূজহিং কোকিল গুংজহি ভৃংগা৷৷
চলী সুহাবনি ত্রিবিধ বযারী৷ কাম কৃসানু বঢ়াবনিহারী৷৷
রংভাদিক সুরনারি নবীনা ৷ সকল অসমসর কলা প্রবীনা৷৷
করহিং গান বহু তান তরংগা৷ বহুবিধি ক্রীড়হি পানি পতংগা৷৷
দেখি সহায মদন হরষানা৷ কীন্হেসি পুনি প্রপংচ বিধি নানা৷৷
কাম কলা কছু মুনিহি ন ব্যাপী৷ নিজ ভযডরেউ মনোভব পাপী৷৷
সীম কি চাি সকই কোউ তাসু৷ বড় রখবার রমাপতি জাসূ৷৷

1.7.126

चौपाई
कहेउँ परम पुनीत इतिहासा। सुनत श्रवन छूटहिं भव पासा।।
प्रनत कल्पतरु करुना पुंजा। उपजइ प्रीति राम पद कंजा।।
मन क्रम बचन जनित अघ जाई। सुनहिं जे कथा श्रवन मन लाई।।
तीर्थाटन साधन समुदाई। जोग बिराग ग्यान निपुनाई।।
नाना कर्म धर्म ब्रत दाना। संजम दम जप तप मख नाना।।
भूत दया द्विज गुर सेवकाई। बिद्या बिनय बिबेक बड़ाई।।
जहँ लगि साधन बेद बखानी। सब कर फल हरि भगति भवानी।।
सो रघुनाथ भगति श्रुति गाई। राम कृपाँ काहूँ एक पाई।।

1.2.126

चौपाई
देखि पाय मुनिराय तुम्हारे। भए सुकृत सब सुफल हमारे।।
अब जहँ राउर आयसु होई। मुनि उदबेगु न पावै कोई।।
मुनि तापस जिन्ह तें दुखु लहहीं। ते नरेस बिनु पावक दहहीं।।
मंगल मूल बिप्र परितोषू। दहइ कोटि कुल भूसुर रोषू।।
अस जियँ जानि कहिअ सोइ ठाऊँ। सिय सौमित्रि सहित जहँ जाऊँ।।
तहँ रचि रुचिर परन तृन साला। बासु करौ कछु काल कृपाला।।
सहज सरल सुनि रघुबर बानी। साधु साधु बोले मुनि ग्यानी।।
कस न कहहु अस रघुकुलकेतू। तुम्ह पालक संतत श्रुति सेतू।।

1.1.126

चौपाई
तेहि आश्रमहिं मदन जब गयऊ। निज मायाँ बसंत निरमयऊ।।
कुसुमित बिबिध बिटप बहुरंगा। कूजहिं कोकिल गुंजहि भृंगा।।
चली सुहावनि त्रिबिध बयारी। काम कृसानु बढ़ावनिहारी।।
रंभादिक सुरनारि नबीना । सकल असमसर कला प्रबीना।।
करहिं गान बहु तान तरंगा। बहुबिधि क्रीड़हि पानि पतंगा।।
देखि सहाय मदन हरषाना। कीन्हेसि पुनि प्रपंच बिधि नाना।।
काम कला कछु मुनिहि न ब्यापी। निज भयँ डरेउ मनोभव पापी।।
सीम कि चाँपि सकइ कोउ तासु। बड़ रखवार रमापति जासू।।

दोहा/सोरठा

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