129

4.1.129

चौपाई
ನಾರದ ಕಹೇಉ ಸಹಿತ ಅಭಿಮಾನಾ. ಕೃಪಾ ತುಮ್ಹಾರಿ ಸಕಲ ಭಗವಾನಾ..
ಕರುನಾನಿಧಿ ಮನ ದೀಖ ಬಿಚಾರೀ. ಉರ ಅಂಕುರೇಉ ಗರಬ ತರು ಭಾರೀ..
ಬೇಗಿ ಸೋ ಮೈ ಡಾರಿಹಉಉಖಾರೀ. ಪನ ಹಮಾರ ಸೇವಕ ಹಿತಕಾರೀ..
ಮುನಿ ಕರ ಹಿತ ಮಮ ಕೌತುಕ ಹೋಈ. ಅವಸಿ ಉಪಾಯ ಕರಬಿ ಮೈ ಸೋಈ..
ತಬ ನಾರದ ಹರಿ ಪದ ಸಿರ ನಾಈ. ಚಲೇ ಹೃದಯಅಹಮಿತಿ ಅಧಿಕಾಈ..
ಶ್ರೀಪತಿ ನಿಜ ಮಾಯಾ ತಬ ಪ್ರೇರೀ. ಸುನಹು ಕಠಿನ ಕರನೀ ತೇಹಿ ಕೇರೀ..
ಸುನು ಮುನಿ ಮೋಹ ಹೋಇ ಮನ ತಾಕೇಂ. ಗ್ಯಾನ ಬಿರಾಗ ಹೃದಯ ನಹಿಂ ಜಾಕೇ..
ಬ್ರಹ್ಮಚರಜ ಬ್ರತ ರತ ಮತಿಧೀರಾ. ತುಮ್ಹಹಿ ಕಿ ಕರಇ ಮನೋಭವ ಪೀರಾ..

3.7.129

चौपाई
રામ કથા ગિરિજા મૈં બરની। કલિ મલ સમનિ મનોમલ હરની।।
સંસૃતિ રોગ સજીવન મૂરી। રામ કથા ગાવહિં શ્રુતિ સૂરી।।
એહિ મહરુચિર સપ્ત સોપાના। રઘુપતિ ભગતિ કેર પંથાના।।
અતિ હરિ કૃપા જાહિ પર હોઈ। પાઉદેઇ એહિં મારગ સોઈ।।
મન કામના સિદ્ધિ નર પાવા। જે યહ કથા કપટ તજિ ગાવા।।
કહહિં સુનહિં અનુમોદન કરહીં। તે ગોપદ ઇવ ભવનિધિ તરહીં।।
સુનિ સબ કથા હૃદયઅતિ ભાઈ। ગિરિજા બોલી ગિરા સુહાઈ।।
નાથ કૃપામમ ગત સંદેહા। રામ ચરન ઉપજેઉ નવ નેહા।।

3.2.129

चौपाई
પ્રભુ પ્રસાદ સુચિ સુભગ સુબાસા। સાદર જાસુ લહઇ નિત નાસા।।
તુમ્હહિ નિબેદિત ભોજન કરહીં। પ્રભુ પ્રસાદ પટ ભૂષન ધરહીં।।
સીસ નવહિં સુર ગુરુ દ્વિજ દેખી। પ્રીતિ સહિત કરિ બિનય બિસેષી।।
કર નિત કરહિં રામ પદ પૂજા। રામ ભરોસ હૃદયનહિ દૂજા।।
ચરન રામ તીરથ ચલિ જાહીં। રામ બસહુ તિન્હ કે મન માહીં।।
મંત્રરાજુ નિત જપહિં તુમ્હારા। પૂજહિં તુમ્હહિ સહિત પરિવારા।।
તરપન હોમ કરહિં બિધિ નાના। બિપ્ર જેવા દેહિં બહુ દાના।।
તુમ્હ તેં અધિક ગુરહિ જિયજાની। સકલ ભાયસેવહિં સનમાની।।

3.1.129

चौपाई
નારદ કહેઉ સહિત અભિમાના। કૃપા તુમ્હારિ સકલ ભગવાના।।
કરુનાનિધિ મન દીખ બિચારી। ઉર અંકુરેઉ ગરબ તરુ ભારી।।
બેગિ સો મૈ ડારિહઉઉખારી। પન હમાર સેવક હિતકારી।।
મુનિ કર હિત મમ કૌતુક હોઈ। અવસિ ઉપાય કરબિ મૈ સોઈ।।
તબ નારદ હરિ પદ સિર નાઈ। ચલે હૃદયઅહમિતિ અધિકાઈ।।
શ્રીપતિ નિજ માયા તબ પ્રેરી। સુનહુ કઠિન કરની તેહિ કેરી।।
સુનુ મુનિ મોહ હોઇ મન તાકેં। ગ્યાન બિરાગ હૃદય નહિં જાકે।।
બ્રહ્મચરજ બ્રત રત મતિધીરા। તુમ્હહિ કિ કરઇ મનોભવ પીરા।।

2.7.129

चौपाई
রাম কথা গিরিজা মৈং বরনী৷ কলি মল সমনি মনোমল হরনী৷৷
সংসৃতি রোগ সজীবন মূরী৷ রাম কথা গাবহিং শ্রুতি সূরী৷৷
এহি মহরুচির সপ্ত সোপানা৷ রঘুপতি ভগতি কের পংথানা৷৷
অতি হরি কৃপা জাহি পর হোঈ৷ পাউদেই এহিং মারগ সোঈ৷৷
মন কামনা সিদ্ধি নর পাবা৷ জে যহ কথা কপট তজি গাবা৷৷
কহহিং সুনহিং অনুমোদন করহীং৷ তে গোপদ ইব ভবনিধি তরহীং৷৷
সুনি সব কথা হৃদযঅতি ভাঈ৷ গিরিজা বোলী গিরা সুহাঈ৷৷
নাথ কৃপামম গত সংদেহা৷ রাম চরন উপজেউ নব নেহা৷৷

2.2.129

चौपाई
প্রভু প্রসাদ সুচি সুভগ সুবাসা৷ সাদর জাসু লহই নিত নাসা৷৷
তুম্হহি নিবেদিত ভোজন করহীং৷ প্রভু প্রসাদ পট ভূষন ধরহীং৷৷
সীস নবহিং সুর গুরু দ্বিজ দেখী৷ প্রীতি সহিত করি বিনয বিসেষী৷৷
কর নিত করহিং রাম পদ পূজা৷ রাম ভরোস হৃদযনহি দূজা৷৷
চরন রাম তীরথ চলি জাহীং৷ রাম বসহু তিন্হ কে মন মাহীং৷৷
মংত্ররাজু নিত জপহিং তুম্হারা৷ পূজহিং তুম্হহি সহিত পরিবারা৷৷
তরপন হোম করহিং বিধি নানা৷ বিপ্র জেবা দেহিং বহু দানা৷৷
তুম্হ তেং অধিক গুরহি জিযজানী৷ সকল ভাযসেবহিং সনমানী৷৷

2.1.129

चौपाई
নারদ কহেউ সহিত অভিমানা৷ কৃপা তুম্হারি সকল ভগবানা৷৷
করুনানিধি মন দীখ বিচারী৷ উর অংকুরেউ গরব তরু ভারী৷৷
বেগি সো মৈ ডারিহউউখারী৷ পন হমার সেবক হিতকারী৷৷
মুনি কর হিত মম কৌতুক হোঈ৷ অবসি উপায করবি মৈ সোঈ৷৷
তব নারদ হরি পদ সির নাঈ৷ চলে হৃদযঅহমিতি অধিকাঈ৷৷
শ্রীপতি নিজ মাযা তব প্রেরী৷ সুনহু কঠিন করনী তেহি কেরী৷৷
সুনু মুনি মোহ হোই মন তাকেং৷ গ্যান বিরাগ হৃদয নহিং জাকে৷৷
ব্রহ্মচরজ ব্রত রত মতিধীরা৷ তুম্হহি কি করই মনোভব পীরা৷৷

1.7.129

चौपाई
राम कथा गिरिजा मैं बरनी। कलि मल समनि मनोमल हरनी।।
संसृति रोग सजीवन मूरी। राम कथा गावहिं श्रुति सूरी।।
एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना। रघुपति भगति केर पंथाना।।
अति हरि कृपा जाहि पर होई। पाउँ देइ एहिं मारग सोई।।
मन कामना सिद्धि नर पावा। जे यह कथा कपट तजि गावा।।
कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहीं। ते गोपद इव भवनिधि तरहीं।।
सुनि सब कथा हृदयँ अति भाई। गिरिजा बोली गिरा सुहाई।।
नाथ कृपाँ मम गत संदेहा। राम चरन उपजेउ नव नेहा।।

1.2.129

चौपाई
प्रभु प्रसाद सुचि सुभग सुबासा। सादर जासु लहइ नित नासा।।
तुम्हहि निबेदित भोजन करहीं। प्रभु प्रसाद पट भूषन धरहीं।।
सीस नवहिं सुर गुरु द्विज देखी। प्रीति सहित करि बिनय बिसेषी।।
कर नित करहिं राम पद पूजा। राम भरोस हृदयँ नहि दूजा।।
चरन राम तीरथ चलि जाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं।।
मंत्रराजु नित जपहिं तुम्हारा। पूजहिं तुम्हहि सहित परिवारा।।
तरपन होम करहिं बिधि नाना। बिप्र जेवाँइ देहिं बहु दाना।।
तुम्ह तें अधिक गुरहि जियँ जानी। सकल भायँ सेवहिं सनमानी।।

1.1.129

चौपाई
सुनु मुनि मोह होइ मन ताकें। ग्यान बिराग हृदय नहिं जाके।। 
ब्रह्मचरज ब्रत रत मतिधीरा। तुम्हहि कि करइ मनोभव पीरा।।
नारद कहेउ सहित अभिमाना। कृपा तुम्हारि सकल भगवाना।।
करुनानिधि मन दीख बिचारी। उर अंकुरेउ गरब तरु भारी।।
बेगि सो मै डारिहउँ उखारी। पन हमार सेवक हितकारी।।
मुनि कर हित मम कौतुक होई। अवसि उपाय करबि मै सोई।।
तब नारद हरि पद सिर नाई। चले हृदयँ अहमिति अधिकाई।।
श्रीपति निज माया तब प्रेरी। सुनहु कठिन करनी तेहि केरी।।

दोहा/सोरठा

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