93

3.2.93

चौपाई
અસ બિચારિ નહિં કીજઅ રોસૂ। કાહુહિ બાદિ ન દેઇઅ દોસૂ।।
મોહ નિસાસબુ સોવનિહારા। દેખિઅ સપન અનેક પ્રકારા।।
એહિં જગ જામિનિ જાગહિં જોગી। પરમારથી પ્રપંચ બિયોગી।।
જાનિઅ તબહિં જીવ જગ જાગા। જબ જબ બિષય બિલાસ બિરાગા।।
હોઇ બિબેકુ મોહ ભ્રમ ભાગા। તબ રઘુનાથ ચરન અનુરાગા।।
સખા પરમ પરમારથુ એહૂ। મન ક્રમ બચન રામ પદ નેહૂ।।
રામ બ્રહ્મ પરમારથ રૂપા। અબિગત અલખ અનાદિ અનૂપા।।
સકલ બિકાર રહિત ગતભેદા। કહિ નિત નેતિ નિરૂપહિં બેદા।

3.1.93

चौपाई
બર અનુહારિ બરાત ન ભાઈ। હી કરૈહહુ પર પુર જાઈ।।
બિષ્નુ બચન સુનિ સુર મુસકાને। નિજ નિજ સેન સહિત બિલગાને।।
મનહીં મન મહેસુ મુસુકાહીં। હરિ કે બિંગ્ય બચન નહિં જાહીં।।
અતિ પ્રિય બચન સુનત પ્રિય કેરે। ભૃંગિહિ પ્રેરિ સકલ ગન ટેરે।।
સિવ અનુસાસન સુનિ સબ આએ। પ્રભુ પદ જલજ સીસ તિન્હ નાએ।।
નાના બાહન નાના બેષા। બિહસે સિવ સમાજ નિજ દેખા।।
કોઉ મુખહીન બિપુલ મુખ કાહૂ। બિનુ પદ કર કોઉ બહુ પદ બાહૂ।।
બિપુલ નયન કોઉ નયન બિહીના। રિષ્ટપુષ્ટ કોઉ અતિ તનખીના।।

2.7.93

चौपाई
সুনি ভুসুংডি কে বচন সুহাএ৷ হরষিত খগপতি পংখ ফুলাএ৷৷
নযন নীর মন অতি হরষানা৷ শ্রীরঘুপতি প্রতাপ উর আনা৷৷
পাছিল মোহ সমুঝি পছিতানা৷ ব্রহ্ম অনাদি মনুজ করি মানা৷৷
পুনি পুনি কাগ চরন সিরু নাবা৷ জানি রাম সম প্রেম বঢ়াবা৷৷
গুর বিনু ভব নিধি তরই ন কোঈ৷ জৌং বিরংচি সংকর সম হোঈ৷৷
সংসয সর্প গ্রসেউ মোহি তাতা৷ দুখদ লহরি কুতর্ক বহু ব্রাতা৷৷
তব সরূপ গারুড়ি রঘুনাযক৷ মোহি জিআযউ জন সুখদাযক৷৷
তব প্রসাদ মম মোহ নসানা৷ রাম রহস্য অনূপম জানা৷৷

2.6.93

चौपाई
দসমুখ দেখি সিরন্হ কৈ বাঢ়ী৷ বিসরা মরন ভঈ রিস গাঢ়ী৷৷
গর্জেউ মূঢ় মহা অভিমানী৷ ধাযউ দসহু সরাসন তানী৷৷
সমর ভূমি দসকংধর কোপ্যো৷ বরষি বান রঘুপতি রথ তোপ্যো৷৷
দংড এক রথ দেখি ন পরেঊ৷ জনু নিহার মহুদিনকর দুরেঊ৷৷
হাহাকার সুরন্হ জব কীন্হা৷ তব প্রভু কোপি কারমুক লীন্হা৷৷
সর নিবারি রিপু কে সির কাটে৷ তে দিসি বিদিস গগন মহি পাটে৷৷
কাটে সির নভ মারগ ধাবহিং৷ জয জয ধুনি করি ভয উপজাবহিং৷৷
কহলছিমন সুগ্রীব কপীসা৷ কহরঘুবীর কোসলাধীসা৷৷

2.2.93

चौपाई
অস বিচারি নহিং কীজঅ রোসূ৷ কাহুহি বাদি ন দেইঅ দোসূ৷৷
মোহ নিসাসবু সোবনিহারা৷ দেখিঅ সপন অনেক প্রকারা৷৷
এহিং জগ জামিনি জাগহিং জোগী৷ পরমারথী প্রপংচ বিযোগী৷৷
জানিঅ তবহিং জীব জগ জাগা৷ জব জব বিষয বিলাস বিরাগা৷৷
হোই বিবেকু মোহ ভ্রম ভাগা৷ তব রঘুনাথ চরন অনুরাগা৷৷
সখা পরম পরমারথু এহূ৷ মন ক্রম বচন রাম পদ নেহূ৷৷
রাম ব্রহ্ম পরমারথ রূপা৷ অবিগত অলখ অনাদি অনূপা৷৷
সকল বিকার রহিত গতভেদা৷ কহি নিত নেতি নিরূপহিং বেদা৷

2.1.93

चौपाई
বর অনুহারি বরাত ন ভাঈ৷ হী করৈহহু পর পুর জাঈ৷৷
বিষ্নু বচন সুনি সুর মুসকানে৷ নিজ নিজ সেন সহিত বিলগানে৷৷
মনহীং মন মহেসু মুসুকাহীং৷ হরি কে বিংগ্য বচন নহিং জাহীং৷৷
অতি প্রিয বচন সুনত প্রিয কেরে৷ ভৃংগিহি প্রেরি সকল গন টেরে৷৷
সিব অনুসাসন সুনি সব আএ৷ প্রভু পদ জলজ সীস তিন্হ নাএ৷৷
নানা বাহন নানা বেষা৷ বিহসে সিব সমাজ নিজ দেখা৷৷
কোউ মুখহীন বিপুল মুখ কাহূ৷ বিনু পদ কর কোউ বহু পদ বাহূ৷৷
বিপুল নযন কোউ নযন বিহীনা৷ রিষ্টপুষ্ট কোউ অতি তনখীনা৷৷

1.7.93

चौपाई
सुनि भुसुंडि के बचन सुहाए। हरषित खगपति पंख फुलाए।।
नयन नीर मन अति हरषाना। श्रीरघुपति प्रताप उर आना।।
पाछिल मोह समुझि पछिताना। ब्रह्म अनादि मनुज करि माना।।
पुनि पुनि काग चरन सिरु नावा। जानि राम सम प्रेम बढ़ावा।।
गुर बिनु भव निधि तरइ न कोई। जौं बिरंचि संकर सम होई।।
संसय सर्प ग्रसेउ मोहि ताता। दुखद लहरि कुतर्क बहु ब्राता।।
तव सरूप गारुड़ि रघुनायक। मोहि जिआयउ जन सुखदायक।।
तव प्रसाद मम मोह नसाना। राम रहस्य अनूपम जाना।।

1.6.93

चौपाई
दसमुख देखि सिरन्ह कै बाढ़ी। बिसरा मरन भई रिस गाढ़ी।।
गर्जेउ मूढ़ महा अभिमानी। धायउ दसहु सरासन तानी।।
समर भूमि दसकंधर कोप्यो। बरषि बान रघुपति रथ तोप्यो।।
दंड एक रथ देखि न परेऊ। जनु निहार महुँ दिनकर दुरेऊ।।
हाहाकार सुरन्ह जब कीन्हा। तब प्रभु कोपि कारमुक लीन्हा।।
सर निवारि रिपु के सिर काटे। ते दिसि बिदिस गगन महि पाटे।।
काटे सिर नभ मारग धावहिं। जय जय धुनि करि भय उपजावहिं।।
कहँ लछिमन सुग्रीव कपीसा। कहँ रघुबीर कोसलाधीसा।।

1.2.93

चौपाई
अस बिचारि नहिं कीजअ रोसू। काहुहि बादि न देइअ दोसू।।
मोह निसाँ सबु सोवनिहारा। देखिअ सपन अनेक प्रकारा।।
एहिं जग जामिनि जागहिं जोगी। परमारथी प्रपंच बियोगी।।
जानिअ तबहिं जीव जग जागा। जब जब बिषय बिलास बिरागा।।
होइ बिबेकु मोह भ्रम भागा। तब रघुनाथ चरन अनुरागा।।
सखा परम परमारथु एहू। मन क्रम बचन राम पद नेहू।।
राम ब्रह्म परमारथ रूपा। अबिगत अलख अनादि अनूपा।।
सकल बिकार रहित गतभेदा। कहि नित नेति निरूपहिं बेदा।

दोहा/सोरठा

1.1.93

चौपाई
बर अनुहारि बरात न भाई। हँसी करैहहु पर पुर जाई।।
बिष्नु बचन सुनि सुर मुसकाने। निज निज सेन सहित बिलगाने।।
मनहीं मन महेसु मुसुकाहीं। हरि के बिंग्य बचन नहिं जाहीं।।
अति प्रिय बचन सुनत प्रिय केरे। भृंगिहि प्रेरि सकल गन टेरे।।
सिव अनुसासन सुनि सब आए। प्रभु पद जलज सीस तिन्ह नाए।।
नाना बाहन नाना बेषा। बिहसे सिव समाज निज देखा।।
कोउ मुखहीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू।।
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना।।

Pages

Subscribe to RSS - 93