1.1.123

चौपाई
मुकुत न भए हते भगवाना। तीनि जनम द्विज बचन प्रवाना।।
एक बार तिन्ह के हित लागी। धरेउ सरीर भगत अनुरागी।।
कस्यप अदिति तहाँ पितु माता। दसरथ कौसल्या बिख्याता।।
एक कलप एहि बिधि अवतारा। चरित्र पवित्र किए संसारा।।
एक कलप सुर देखि दुखारे। समर जलंधर सन सब हारे।।
संभु कीन्ह संग्राम अपारा। दनुज महाबल मरइ न मारा।।
परम सती असुराधिप नारी। तेहि बल ताहि न जितहिं पुरारी।।

दोहा/सोरठा
छल करि टारेउ तासु ब्रत प्रभु सुर कारज कीन्ह।।
जब तेहि जानेउ मरम तब श्राप कोप करि दीन्ह।।123।।

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