चौपाई
 बसहिं नगर सुंदर नर नारी। जनु बहु मनसिज रति तनुधारी।। 
 तेहिं पुर बसइ सीलनिधि राजा। अगनित हय गय सेन समाजा।।
 सत सुरेस सम बिभव बिलासा। रूप तेज बल नीति निवासा।। 
 बिस्वमोहनी तासु कुमारी। श्री बिमोह जिसु रूपु निहारी।।
 सोइ हरिमाया सब गुन खानी। सोभा तासु कि जाइ बखानी।। 
 करइ स्वयंबर सो नृपबाला। आए तहँ अगनित महिपाला।।
 मुनि कौतुकी नगर तेहिं गयऊ। पुरबासिन्ह सब पूछत भयऊ।। 
 सुनि सब चरित भूपगृहँ आए। करि पूजा नृप मुनि बैठाए।।
दोहा/सोरठा
आनि देखाई नारदहि भूपति राजकुमारि। 
 कहहु नाथ गुन दोष सब एहि के हृदयँ बिचारि।।130।।
